आज इंटरनेट के माध्यम से सारी दुनिया सिमटकर एक हो गयी है, हम जब चाहें आभासी कार्यक्रम (Virtual program) के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठे, किसी भी क्षेत्र के महानुभावों से मिल सकते हैं, संवाद कर सकते हैं।
अपने आरंभिक जीवन से ही मेरा यह उद्देश्य रहा कि समाज, राष्ट्र और मानवता के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए और वह भी ऐसा कार्य, जिसमें आपकी रुचि हो और आप उसे अच्छे से कर सकें। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने ब्लॉग और पॉडकास्ट के माध्यम से लगभग हर क्षेत्र, जैसे साहित्य, संस्कृति, कला, विज्ञान, चिकित्सा, शिक्षा, धर्म, अध्यात्म, राजनीति आदि हर विषय के मर्मज्ञ चिंतक,विश्लेषक और कलाकारों आदि को चुभन के पटल पर आमंत्रित किया और उनसे बहुत कुछ जान समझकर अपने दर्शकों- पाठकों के लिए प्रस्तुत किया।
भविष्य में भी मेरा यही प्रयास होगा कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से और लेखों से न सिर्फ अपने देश वरन पूरे विश्व मे कही भी बैठे विद्वान विदुषी वक्ताओं को एक पटल देने का प्रयास करूं, जिसमें खुलकर बेबाक तरीके से वे अपनी बात रख सकें।
“चुभन” के उद्देश्य, उसके कार्यों आदि को इन दो पंक्तियों में ही कहा जा सकता है –
“चुभन कराए सृजन का विस्तार,
चुभन खिलाए अंतरतम संस्कार।”