अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल पॉडकास्ट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डॉ. सत्या सिंह
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष: अर्धनारीश्वर और महिला समानता

International Women’s Day Special

अर्धनारीश्वर के काल्पनिक रूप की परिकल्पना

आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है और बड़ा ही अच्छा संयोग है कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) भी इसी दिन है। आइए मंथन करते हैं कि शिवरात्रि एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में क्या समानता है और कैसे “अर्धनारीश्वर और महिला समानता” का महत्वपूर्ण संदेश हमें प्रेरित कर सकता है?

 

👆पूरे कार्यक्रम को सुनने के लिए ऊपर वीडियो को क्लिक करें।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, महिलाओं के अधिकारों की बात करता है, जबकि यदि शिवरात्रि की बात करें तो यह पर्व भगवान शिव से संबंधित है। शिव का ही एक रूप है अर्धनारीश्वर का, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मानवता पुरूष एवं स्त्री दोनों के संयोग से ही पूरी होती है। शिव जी के अर्धनारीश्वर रूप द्वारा ईश्वर ने भी पुरूष एवं स्त्री को एक समान भाव पर लाकर खड़ा किया है। तात्पर्य यह है कि हमारी धार्मिक मान्यताओं में भी स्त्री एवं पुरुष में कोई भेदभाव नही किया गया है। फिर यह कुरीति कहाँ से आ गई ? क्या यह हमारी विकृत मानसिकता की उपज है कि आज समाज असंतुलित हो गया है?

जिस तरह पुरुषों को विशेष अधिकार देकर हमने महिलाओं का दमन किया तो क्या महिलाओं को विशेष अधिकार देकर हम पुरूष और स्त्री के भेद का एक नया रूप खड़ा नहीं कर रहे हैं ? हम विशेष अधिकार की बात क्यों करें ? समानता की बात क्यों न करें ? हम नारी के सहयोग की बात क्यों न करें ? क्यों न अब हम अर्धनारीश्वर रूप को लेकर आगे चलें ? क्यों न हम महिला एवं पुरुष को समान रूप से साथ लेकर चलें ? अधिकार, सम्मान नहीं देते। सम्मान तो सामाजिक व्यवस्था एवं मन के भाव देते हैं। तब क्यों न प्रयास किया जाए समाज की रीत बदलने का ? क्यों न एक परंपरा चलाई जाए, नारी के सहयोग की ? पुरूष और नारी अधिकारों में क्यों बंटे रहें ? क्या पुरूष और नारी एक दूसरे के सहयोग से नहीं जुड़ सकते ? क्या हम अर्धनारीश्वर के काल्पनिक रूप को साकार नहीं कर सकते ?

हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s Day ) की थीम निर्धारित की जाती है और हर्ष का विषय है कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम भी अधिकार न होकर वैचारिक समानता है क्योंकि इस वर्ष की थीम है – ” एक ऐसी दुनिया, जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले (Inspire Inclusion)” तो आइए इस बार अधिकार भावना के स्थान पर कुछ ऐसा सोचा जाए, कुछ ऐसा विचार किया जाए जो इस असमानता को हमेशा के लिए मिटा सके।

     उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी के साथ।

आज के दिन ‘चुभन’ पर हमने जिस शख्सियत को आमंत्रित किया है, उनके द्वारा महिला अधिकारों का मंथन जब तक नहीं किया जाएगा, तब तक आज का यह संवाद अधूरा ही रहेगा।

हमने चुभन पॉडकास्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस अधिकारी रहीं डॉ. सत्या सिंह जी से संवाद किया।उनके नाम को कौन नहीं जानता ? इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से 2017 में उन्हें ‘देवी अवार्ड’ से जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सम्मानित किया तो मंच से ही योगी जी ने यह कहा कि “उत्तर प्रदेश के सारे लड़के और लड़कियां अपने को सुरक्षित पाते हैं, क्योंकि उनकी सत्या दीदी उनके साथ हैं।

पूर्व राज्यपाल राम नाईक जी के हाथों सम्मानित होते हुए।

यह उदाहरण काफी है, उनकी लोकप्रियता सिद्ध करने के लिए। भारत के राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने के साथ ही आप अनगिनत सम्मानों से सम्मानित हो चुकी हैं।

2011 में भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति माननीया प्रतिभा पाटिल जी ने आपको सम्मानित किया।

ऐसे ही नहीं आज इतने लोगों की वे आदर्श हैं। बचपन से ही विपरीत परिस्थितियों में रहकर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

आपको सम्मान स्वरूप मिले मैडल, प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कारों से एक कमरा भरा हुआ है। आप ताइक्वांडो चैंपियन भी हैं। महिला सम्मान प्रकोष्ठ में भी आप रहीं, जहां “सबका सम्मान भी और सुरक्षा भी ” यही उद्देश्य था।

सम्मान स्वरूप मिले प्रतीक चिन्हों से पूरा कमरा भरा है।

और अब डॉ. सत्या सिंह जी का एक नया रूप लेखिका का भी हमारे सामने आया है।

आपकी 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उन्होंने ऐसे मुद्दे उठाए जो प्रासंगिक हैं और उनकी पुस्तकों को कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। उनकी पुस्तक ‘ भारतीय कानून में महिलाओं के अधिकार’ पर विधि तथा विधिशास्त्र विधा के अंतर्गत वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने उन्हें पुरस्कृत किया।

संघर्षशील व्यक्ति के लिए जीवन, एक कभी न समाप्त होने वाले समारोह की तरह होता है और डॉ. सत्या सिंह जी इस बात की मिसाल हैं। मैंने जब भी उन्हें देखा है, उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट को पाया है और उसके साथ ही उनके गौरवपूर्ण चेहरे पर स्नेह और वात्सल्य के भाव को हमेशा ही देखा है।
उनके साथ हुए पूरे संवाद को आप अवश्य सुनें।

 

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दुर्गेश पाठक

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