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डॉ. बी.सी. गुप्ता: एक वयोवृद्ध योद्धा की प्रेरणादायक कहानी”

हमें स्वतंत्र हुए 77 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इस वर्ष हम 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस दिन हम सोचते हैं कि कुछ खास करना चाहिए, तो बस झंडा फहरा लेते हैं, या “भारत मां की जय” जैसे उद्घोष करके अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं, परंतु कितना आसान है न यह सब कुछ कर लेना।

क्या हमने कभी यह सोचा कि इस दिन को देखने के लिए, आज़ाद देश मे सांस लेने के लिए हमारे देश के कितने ही वीर सपूतों ने न जाने क्या क्या किया ?

कुछ दिन पहले मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ उनसे मिलने का, जिन्होंने गुलाम भारत और आज़ाद भारत, दोनों के लिए अपनी सेवाएं दीं। डॉ. बी.सी. गुप्ता जी सेना के रिटायर कैप्टेन हैं। उनसे बात करके मुझे सिर्फ और सिर्फ एक भाव मन मे आया कि जिनको जीवन में कुछ करना होता है, वे हर विपरीत परिस्थिति को अपने अनुकूल करके बहुत कुछ कर जाते हैं। उन्हें कोई भी बाधा रोक नही पाती। फिर चाहे स्वास्थ्य या उम्र जितना भी साथ दें।

वैसे कैप्टन गुप्ता जी ने जितनी बार भी मुझसे बात की, उसमें सबसे ज़्यादा यह कहा कि “भावना मेरे शरीर पर चाहे कुछ असर हो उम्र का लेकिन मैं बौद्धिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ और ताकतवर हूं।”

कितनी बड़ी बात है यह, बहुत से लोगों को हम देखते हैं कि थोड़ी सी शारीरिक या अन्य परेशानियों से घबड़ा कर सब कुछ छोड़ कर बैठ जाते हैं, परंतु आज मैं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इसीलिए डॉ. गुप्ता जी के बारे में आप सबको बता रही हूं, ताकि हम सब उनसे प्रेरणा ले सकें।

उनसे बात करने पर देश के हालातों पर भी वे चिंतित दिखाई देते हैं। उन्होंने अपने जीवन और कार्यों के बारे में मुझे कुछ लिखकर भेजा है, जो मैं प्रकाशित कर रही हूं।

अभी आप उनके द्वारा लिखकर भेजा गया छोटा सा आलेख अवश्य पढ़ें। आपसे वादा है कि बहुत जल्द उनसे मैं मिलूंगी और उनके साथ हुए संवाद को आप सबके लिए प्रस्तुत करूंगी क्योंकि वे 94 वर्ष की आयु में भी इतना कुछ कर रहे हैं, जिसे सुनकर आप सब भी आश्चर्यचकित हुए बिना नही रह सकेंगे। बस थोड़ा प्रतीक्षा करिए, बहुत जल्द उनसे मिलवाती हूं आपको।

 

   -डॉ. बी.सी. गुप्ता (कैप्टन) की कलम से –

मेरा जन्म वर्ष 1930 में गुलाम भारत में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय,सितंबर 1939–अगस्त 1945 के बीच के समय की मुझे याद है। मै उस समय 9 वर्ष का था और कक्षा 4 में पढ़ता था।

पिछले वर्ष अपने जन्मदिन के अवसर पर (25 सिंतबर 2023)

गांधी जी ने अंग्रेजों को ‘भारत छोड़ो'(Quit India) का नारा दिया था। गांधी जी ट्रेन द्वारा इटावा (मेरा जन्म स्थान) से गुजरे थे और स्टेशन पर उनका भाषण सुनने मैं गया था।

हम स्कूल के बच्चे भी इटावा शहर में ग्रुप बनाकर नारे लगाते थे……’अंग्रेजो भारत छोड़ो’……’फेंक दो लाल पगड़ी फेंक दो ‘ इत्यादि । पुलिस हम बच्चों को एक ट्रक में भरकर बस्ती से दूर जा कर छोड़ आती थी। हम बच्चे शाम तक भूखे प्यासे पैदल घर आ जाते थे।

एटम बॉम्ब की यादें भी हैं,पहले बॉम्ब का नाम LITTLE BOY था, जो हिरोशिमा पर गिराया 6 अगस्त 1945 को। दुसरे का नाम था FAT BOY जिसे 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर गिराया था। Explosion के चित्र मैने देखे हैं। लाखो लोग जापान में मरे थे। कई साल तक ATOMIC SIDE EFFECTS से लोग मरते रहे।

फोटो साभार : डॉ. बी.सी. गुप्ता जी के सौजन्य से।

 

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2 thoughts on “डॉ. बी.सी. गुप्ता: एक वयोवृद्ध योद्धा की प्रेरणादायक कहानी”

  1. Very inspiring life of veteran who served nation and still has zeal to inspire by sharing 🪷💐🙇
    I salute him from depths of my heart ❤️
    You must bring him to Chubhan’s episode 🪷👏

  2. A truly inspiring personality!His life and attitude are a motivation for all of us to continue on our path and never give up in the face of difficulties.
    He is proof of the saying ” age is just a number!”
    Looking forward to his episode on Chubhan.

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