👆पूरे संवाद को वीडियो में सुनें और कृष्ण भक्ति में डूब जाएं।
श्री कृष्ण युग-विशेष के प्रतिनिधि न होकर युग युग के प्रतिनिधि हैं। निसंदेह कहा जा सकता है कि भारतीय चिंतन धारा को सर्वाधिक प्रभावित यदि किसी ने किया तो वह श्रीकृष्ण और श्री राम के चरित्र ही हैं। डॉ. नारदी जगदीश पारेख जैसी विभूतियों ने इस चिंतन धारा को और भी गहरा और व्यापक बनाया है।
जिन श्रीकृष्ण जी को भारतीय जीवन-दर्शन ने पूर्णावतार की संज्ञा दी हो, ऐसे चरित्र का आज “जन्मदिन” है। आज जन्माष्टमी का पावन पर्व है। सच मे श्री कृष्ण की छवि, उनका रूप देखकर जैसी दिव्य आनंद की अनुभूति होती है, वह वर्णनातीत है।
बिहारी ने अपने इस दोहे में कितना सही कहा है –
“या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहि कोई,
ज्यों ज्यों बूड़ै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्जलु होई।”
सच में मनुष्य के अनुरागी चित्त की गति और उसकी स्थिति को कोई भी नहीं समझ सकता। श्री कृष्ण भक्ति में डॉ. नारदी जगदीश पारेख जैसे भक्तों ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि हमारा मन जैसे-जैसे कृष्ण भक्ति के रंग में डूबता है, वैसे-वैसे हमारे समस्त दुर्गुण मिटते जाते हैं।
तो चलिए, श्याम रंग में डूब जाते हैं, कृष्ण भक्ति के रंग में डूब जाते हैं और हमें इस भक्ति रस से सराबोर करने के लिए हमारे साथ होंगी डॉ. नारदी जगदीश पारेख जी, जो परम विदुषी और परम कृष्ण भक्त हैं। उन्होंने 9000 से अधिक कृष्ण भजन लिखे हैं, जो देश ही नहीं विदेशों में भी भक्तों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हैं।
“चुभन पॉडकास्ट” पर आप पूरे संवाद को सुनें।
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मृदुल कीर्ति
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નારદી માની કૃષ્ણ ભક્તિ અને પ્રેમને દિલથી વંદન🙏
भावना जी आपकी पहली नजर और विश्व भर में से अच्छा ढूंढने के नजरिए को सलाम करती हूं आपकी यह नजर न जाने कैसे कहां कहां से छिपे हुए मृदुल कीर्ति जी कमल किशोर जी, अभिनेता और वैज्ञानिक अनिल रस्तोगी जी, अक्का महादेवी जी, अग्नि शेखर जी सत्य सिंह जी जैसे सितारे और रत्न ढूंढ है? यह जब सोती हूं तब लगता है की मैं बहुत भाग्यशाली हूं की मेरे जैसा जुगनू क भी आपकी नजर से बाहर नहीं रहा आपके इस जज्बे को कायम रखना और युधिष्ठिर की तरह विश्व भर में से अच्छाई सबके सामने लाते रहना।