Ancient palace of Nasirabad in Awadh region
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अवध प्रान्त की रियासत नसीराबाद: इतिहास, त्याग और गर्व की कहानी

 

अवध प्रान्त की रियासत नसीराबाद

हमने आपसे यह वादा किया है कि एक-एक करके हम अवध प्रान्त की रियासतों से आपका परिचय करवाएंगे। उसी कड़ी में आज हम आपको नसीराबाद की रियासत से परिचित करवाते हैं। इस रियासत के राजा अभिषेक राय जी से हमने एक संवाद किया। हमारे साथ जानी-मानी साहित्यकार और बहुमुखी प्रतिभा की धनी शाबिस्ता बृजेश जी भी थीं।

👆🏾पूरे संवाद को ऊपर वीडियो में सुनें।

नसीराबाद का इतिहास

राजा अभिषेक राय जी ने बताया कि उनके पूर्वज राय भीकम राम जी थे। वे सन 1237 में 129 गांवों की जमींदारी लेकर कन्नौज से आए थे। नसीराबाद की रियासत का इतिहास 30 पीढ़ियों से भी ऊपर का है। राजा अभिषेक राय जी ने अपने पूर्वजों के त्याग और बलिदान के कई किस्से साझा किए।

राय भीकम राम और उनकी विरासत

राय भीकम राम जी ने 1237 में नसीराबाद की नींव रखी थी। उनके नेतृत्व में 129 गांवों की जमींदारी का संचालन हुआ। इस परिवार की जमींदारी का प्रभाव और कद बढ़ता गया। उन्होंने अपनी रियासत को समृद्ध और सशक्त बनाया।

राजा हरिप्रसाद का बलिदान

राजा अभिषेक राय जी के पूर्वज, राजा हरिप्रसाद जी, त्याग और बलिदान के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति और महल में जड़े हुए रत्नों तक को बेच दिया ताकि मातृभूमि की अस्मिता की रक्षा हो सके। उन्होंने अवध की सेना को फिर से खड़ा किया। राजा हरिप्रसाद जी को बैसवाड़ा के तात्या टोपे के नाम से भी जाना जाता है। उनके बलिदान की गाथा इतिहास के पन्नों में कहीं खो गई है। हालांकि, नसीराबाद के लोगों के दिलों में आज भी जीवित है।

शापित मंदिर की कहानी

राजा अभिषेक राय जी ने नसीराबाद में स्थित एक शापित मंदिर की कहानी भी साझा की। इस मंदिर की नींव पानी पर है, जिस कारण भूकंप का उस पर कोई असर नहीं होता। अघोर समाज इस मंदिर को ढूंढ रहा था क्योंकि यह पांचवां शिव पंचायत मंदिर है, जो अधूरा है। यह मंदिर नसीराबाद की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मातृभूमि के लिए त्याग

नसीराबाद की रियासत का इतिहास त्याग और बलिदान का इतिहास है। राजा हरिप्रसाद जी ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था। वे अपने रत्नों और संपत्ति को बेचकर मातृभूमि की रक्षा के लिए खड़े हुए थे। यह त्याग और बलिदान नसीराबाद के लोगों के दिलों में गर्व का भाव उत्पन्न करता है।

नसीराबाद की रियासत और सेना

नसीराबाद की रियासत का सेना के साथ गहरा संबंध रहा है। राजा हरिप्रसाद जी ने अपनी सेना को पुनः संगठित किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए खड़े हुए। उनकी वीरता और साहस की कहानियाँ आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।

समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर

नसीराबाद की रियासत का इतिहास समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भरा है। यहाँ के मंदिर, महल और ऐतिहासिक स्थल इस रियासत की धरोहर का प्रतीक हैं। शापित मंदिर और शिव पंचायत मंदिर इस सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

वर्तमान और भविष्य

राजा अभिषेक राय जी ने बताया कि नसीराबाद की रियासत का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों के त्याग और बलिदान को याद रखते हुए वे इस रियासत को और समृद्ध बनाने की दिशा में कार्यरत हैं। उनके प्रयासों से नसीराबाद की रियासत को नया जीवन मिल रहा है।

हमारी बातचीत

राजा अभिषेक राय जी के साथ हुए पूरे संवाद को आप हमारे पॉडकास्ट में सुन सकते हैं। उन्होंने नसीराबाद की रियासत के इतिहास, त्याग, बलिदान और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के बारे में विस्तार से बताया। शाबिस्ता बृजेश जी के साथ हुई यह बातचीत नसीराबाद की रियासत की कहानी को और भी रोचक बनाती है।

निष्कर्ष

नसीराबाद की रियासत का इतिहास त्याग, बलिदान और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भरा है। राजा अभिषेक राय जी और उनके पूर्वजों ने मातृभूमि की रक्षा और अवध की सेना को पुनः संगठित करने के लिए जो त्याग किए, वे आज भी नसीराबाद के लोगों के दिलों में जीवित हैं। शापित मंदिर और शिव पंचायत मंदिर इस रियासत की धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसलिए, नसीराबाद की रियासत की कहानी सुनने के लिए हमारे पॉडकास्ट को ज़रूर सुनें और जानें कि कैसे यह रियासत अपने त्याग और बलिदान के इतिहास को जीवित रखे हुए है।

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