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हिम्मत की प्रतिमूर्ति : डॉ. नारदी पारेख की अनसुनी कहानी

कैसे भी हालात हों, कितनी भी विपरीत परिस्थितियां आएं, हमें उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए, कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, बल्कि हिम्मत कुछ ऐसी रखनी चाहिए कि हालात ख़ुद ही हार जाएं। ऐसे ही हालातों को हराकर जीतने का नाम है, डॉ. नारदी पारेख जी।
ईश्वर भी हमें तभी संभाल पाएंगे, जब हमारे लड़खड़ाते कदम खड़े होने की हिम्मत जुटाएंगे।

“कौन बताता है समंदर का रास्ता नदी को,
जिसे मंज़िल का जुनून है, वो मशवरा नहीं लेते।”

सच मे जिनके मन मे कुछ कर गुजरने का जज़्बा होता है, वे सिर्फ सोचने विचारने और लोगों से सलाह लेने में ही समय व्यर्थ नहीं करते वरन हकीकत में कुछ कर गुज़रते हैं।

ऐसे ही एक व्यक्तित्व को आज हमने ‘चुभन’ पर आमंत्रित किया है, उन्होंने भी अपने हौसले ज़िंदा रखकर मुश्किलों को शर्मिंदा कर दिया।

 

👆🏿ऊपर वीडियो क्लिक करें और डॉ. नारदी जी के साथ हुए पूरे संवाद को सुनें।

आज “चुभन पॉडकास्ट” पर आप मिलेंगे, डॉ. नारदी जगदीश पारेख जी से, जिन्होंने अपने शारीरिक कष्टों को कभी भी अपने कार्यों, अपनी जिम्मेदारियों के आड़े नहीं आने दिया। जिन हालातों में 2 मिनट खड़े रह पाना भी मुमकिन न हो, उन हालातों में आपने ऐसा नृत्य किया कि बड़े-बड़े कलाकार भी नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके।

अभिनेत्री बिंदु, आपके अरेबियन डांस कार्यक्रम में …..

जब उन्होंने मंच पर नृत्य किया तो माधुरी दीक्षित जैसी लोकप्रिय अभिनेत्री को खुद मंच पर आना पड़ा और उन्होंने स्वयं नारदी जी के साथ नृत्य करके उन्हें सम्मानित किया।

मैं उन्हें बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न एक बहादुर महिला के तौर पर देखती हूँ।

भांगड़ा नृत्य करते हुए।

आपने साहित्य सृजन किया तो कविता, कहानी, उपन्यास और भजन आदि विभिन्न विधाओं में अपनी लेखनी चलाई। आपकी 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।गुजरात और कनाडा के अखबारों में आपके स्वास्थ्य विषयक लेख प्रकाशित होते रहते हैं। डॉ. नारदी जी प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ भी हैं और न जाने कितने लोगों को इसके द्वारा स्वस्थ होने में अपना योगदान दे रहीं हैं। उनके प्राकृतिक चिकित्सा संबंधी लेख को हम भी आप सब के लिए शीघ्र ही चुभन पर प्रकाशित करेंगे, जिससे हमारे सभी पाठक, दर्शक  लाभ उठा सकें।

डॉ नारदी पारेख जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी के तपोवन प्रोजेक्ट में गर्भ संस्कार के वर्ग लेती हैं। आपको अनेकों सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

शारीरिक कष्टों को दरकिनार रखते हुए आप कोई भी काम करने से इनकार नही करतीं। मैंने उन्हें कुछ पर्यवारण से जुड़े कार्यों में शामिल होने के लिए पूछा तो उन्होंने बिना एक पल भी लगाए तुरंत जवाब दिया कि देश हित के लिए मैं सब कुछ करना चाहूंगी। मेरा शरीर ज़रूर टूटा है, पर मेरा मन पूरी ताकत से सब कुछ कर सकता है। आप मेरे साथ हुए उनके संवाद को जब सुनेंगे तो स्वयं ही इस बात को महसूस करेंगे। उनका कहना है कि लोगों के शरीर तो ठीक रहते हैं, लेकिन वे मन को इतना तोड़ लेते हैं कि उनके अंदर की हिम्मत भी टूट जाती है। आज की युवा पीढ़ी के लिए उनसे ज़्यादा प्रेरणादायी व्यक्तित्व मिलना मुश्किल ही है।

उनके अंदर कितना जोश, कितना जज़्बा और कितनी हिम्मत है, इसे हम उनके द्वारा रचित इस कविता से समझ सकते हैं –

“तदबीर”

हाथों की लकीरें
मिटा कर
खुद की किस्मत
लिखने निकली।

जिद को जीवन
रेखा बनाकर
वन को उपवन
करने निकली ।

तूफानों को हराकर
डर को डरा कर
झांसी बनकर
लड़ने निकली।

मेरे जज्बों से
छलांग लगाकर
आकाश को मुट्ठी में
भरने निकली।

 

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6 thoughts on “हिम्मत की प्रतिमूर्ति : डॉ. नारदी पारेख की अनसुनी कहानी

  1. Do नारदीजी के बारेमे कुछभी लिखना मेरे लिए असंभव है, हालांकि में कवि हूं फिरभी कोई शब्द वो ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाएगा। बस हाथ जोड़कर वंदन कर सकता हु ।

  2. भावना जी मैंने शुरू में ही बताया कि आप व्यक्तित्व को उजागर करने का हुनर रखती हो मगर आपने तो मेरी मुलाकात से मेरे व्यक्तित्व को न सिर्फ उजागर किया मगर अपने शब्दों से निखार दिया है! आपके इस जज्बे के लिए मेरे पास शब्द नहीं है! आपका यह हुनर गगन की ऊंचाई तक पहुंचे और आप सफलता के शिखर पर पहुंचे ऐसी शुभकामना और शुभाशीष जरूर दे सकती हूं🙏🙏🙏💐💐

  3. वैसे तो डॉक्टर नारदी पारेख जो मेरी माता के स्थान पर विराजमान है। मेरे अंतरमन में बहुत ज्यादा ख्याल चलते रहते है की जिंदगी में इतनी ज्यादा दिक्कत आने के बावजूद भी कोई हमेशा सकारात्मक कैसे रह सकता है? वैसे तो सब जानने का दावा नही कर सकता लेकिन उनके बारे में बहुत कुछ जानता हू और आजका सटीक इंटरव्यू सुनकर उनके बारे में और ज्यादा जान लिया। बहुत बड़ियां इंटरव्यू 😍

  4. नार्दीजी आपकी बात निराली है। बहुत बढ़िया हिम्मत रखती हो और हमे भी बहुत हिम्मत मिलती है। आपकी बातो से प्रेरणा देते है॥

  5. આપને સૌથી પહેલા વંદન સાથે અભિનંદન!

    આટલી શારીરિક તકલીફો વચ્ચે પણ પ્રતિદિન કંઇક નવું કરતા રહેવાની આપની લગન અમારા સૌ માટે પ્રેરક બળ બની રહે છે. આપની સિદ્ધિઓ જોઈ મસ્તક આપોઆપ નમી જાય છે.
    મને ગર્વ છે કે હું આપની સાથે જોડાયેલી છું.

    સો વર્ષના થાવ અને સિદ્ધિઓથી શોભાયમાન થતાં રહો.

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