राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में विद्वान अपने विचार साझा करते हुए.
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राम लला प्राण-प्रतिष्ठा प्रभु राम अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार

                 अंतर्राष्ट्रीय वेब-संगोष्ठी

अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है, इस उपलक्ष में “चुभन” की तरफ से एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया, जिसमें देश-विदेश के विद्वद्जनों ने अपनी अपनी भावना के अनुसार प्रभु राम के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।

 

👆पूरे कार्यक्रम को सुनने के लिए ऊपर वीडियो को क्लिक करें।

उत्तराखंड की टिहरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक किशोर उपाध्याय जी ने राम जी को परिभाषित करते हुए बहुत ही सुंदर शब्द कहे कि हमारे जीवन के आरंभ से लेकर, जब हम यहां से प्रयाण करते हैं, वह सारा का सारा जीवन-दर्शन भगवान राम ही हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और फोटोग्राफर,महेंद्र त्रिपाठी जी, जिन्होंने लगभग चार दशक तक राम लला की जन्मभूमि से कवरेज की और उस समय के चश्मदीद गवाह भी बने ,अपनी आपबीती सुनाई और वे भावुक भी हो गए उस समय को याद करके।

1949 से यही मूर्ति विराजित है, अभी तक टेंट के नीचे थी, अब रामलला अपने स्थान पर विराजेंगे।

बेंगलुरु से वरिष्ठ साहित्यकार और DRDO में वैज्ञानिक रहे कमल किशोर राजपूत जी ने भी भगवान राम के ऊपर सुंदर गीत सुनाया और अपने विचार प्रस्तुत किये।
बेंगलुरु से ही वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीलता सुरेश जी ने भी कन्नड़ रामायण और तमिल की कम्ब रामायण के बारे में हम सबको जानकारी दी।

दक्षिण के एक अन्य राज्य तेलंगाना के वारंगल से सिराजुद्दीन जी भी हमारे साथ जुड़े। वारंगल को तेलंगाना की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है। सिराजुद्दीन जी ने तेलंगाना स्थित भद्राचलम मंदिर के बारे में रोचक जानकारी दी। इस मंदिर को “दक्षिण की अयोध्या”कहते हैं।

हमारे कार्यक्रम में यूरोप के देश क्रोएशिया से स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी जी भी जुड़े, जिन्होंने सनातन परंपरा को इस तरह अंगीकार कर लिया है कि अब लगता ही नहीं कि यूरोप के किसी देश में उन्होंने जन्म लिया होगा। आपने ‘रामचरितमानस’ का क्रोशियन भाषा मे अनुवाद किया है। आपके विचार भी हम सबके लिए बहुत कीमती हैं।

यह कार्यक्रम क्योंकि राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष में हो रहा था तो थोड़ा गायन-वादन न होता तो शायद अधूरा ही रहता सब कुछ। इस कमी को पूरा किया आल्हा के सुप्रसिद्ध कलाकार धर्मसिंह जी ने, जो लोकप्रिय आल्हा गायक और ‘आल्हा सम्राट’ की उपाधि से सम्मानित बच्चा सिंह जी के सुपुत्र हैं। धर्मसिंह जी का साथ परशुराम जी ने भी बहुत अच्छी तरह से दिया।

हमारे साथ उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर से विदुषी डॉ. चंपा श्रीवास्तव जी भी जुड़ीं, आपने प्रभु राम और ‘रामचरितमानस’ पर बहुत काम किया है।
रायबरेली से ही विद्वान वक्ता गौरव अवस्थी जी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। गौरव जी, हिंदी के युग प्रवर्तक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान के संस्थापक हैं।

गुजरात के लोकप्रिय पेंटर, देश-विदेश में जिनका बहुत नाम है और हमारे ‘चुभन’ के कार्यक्रम में आप उन्हें पहले भी मिल चुके हैं, अकबर मोमिन साहब। आप ने भी हमारे कार्यक्रम में भाग लेना था, परंतु उनकी पेंटिंग भी रामलला मंदिर में स्थान प्राप्त कर रही है, जिसके लिए आप प्रतिदिन कई घंटों तक इसी कार्य मे संलग्न रहते हैं। इसीलिए आप लाइव नही जुड़ सके परंतु आपने हम सबके लिए एक खूबसूरत वीडियो संदेश भेजा।

लोकप्रिय कवयित्री शाबिस्ता बृजेश जी ने भी महत्वपूर्ण विचार हम सबके समक्ष रखे और राम जी पर बहुत सुंदर पंक्तियां इतने दिल से और भक्ति रस में डूब कर गाईं कि सब राम जी की भक्ति में डूब गए।

हमें अवध प्रान्त की रियासत गोपाल खेड़ा के राजा रंजीत बख़्श सिंह जी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ, आपने पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहकर हर विद्वान वक्ता के विचारों को पूरी तन्मयता से सुना। आपका स्नेह आशीर्वाद मुझे हमेशा ही मिला है।

संक्षेप में कह सकती हूं कि सभी ने अपनी अपनी भावना से अपने अपने राम को देखा।राम जी का उत्सव हम सबने मिलकर मनाया, राम जी हम सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें, बस यही कामना है।

राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा: एक ऐतिहासिक अवसर

अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक घटना है। इस उपलक्ष में आयोजित “चुभन” के अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार ने देश-विदेश के विद्वद्जनों को एक मंच पर लाया, जहाँ उन्होंने प्रभु राम के जीवन और उनके आदर्शों पर अपने विचार साझा किए।

राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का महत्व

राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा अयोध्या में एक ऐसा पल है जिसे सदियों से संजोया गया है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के प्रति हमारे समर्पण का प्रतीक है। इस विशेष अवसर पर, उत्तराखंड की टिहरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक किशोर उपाध्याय जी ने राम जी को जीवन के आरंभ से लेकर अंत तक हमारे जीवन का दर्शन बताया।

पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी का अनुभव

महेंद्र त्रिपाठी जी, जिन्होंने लगभग चार दशक तक राम लला की जन्मभूमि से कवरेज की, उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई और वे भावुक हो गए। उनके अनुभवों ने वेबिनार में उपस्थित सभी लोगों को अयोध्या के उन पलों की याद दिलाई जब राम लला की भूमि पर संघर्ष चल रहा था।

कन्नड़ और कम्ब रामायण पर श्रीलता सुरेश का विचार

बेंगलुरु से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीलता सुरेश जी ने कन्नड़ रामायण और तमिल की कम्ब रामायण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे रामायण के विभिन्न संस्करण हमें प्रभु राम के जीवन और उनके आदर्शों के बारे में गहरी समझ प्रदान करते हैं।

भद्राचलम मंदिर: दक्षिण की अयोध्या

तेलंगाना के वारंगल से जुड़े सिराजुद्दीन जी ने भद्राचलम मंदिर के बारे में रोचक जानकारी दी। उन्होंने इसे “दक्षिण की अयोध्या” कहा, जो राम भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। उनके विचारों ने वेबिनार को और भी समृद्ध बनाया।

स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी का योगदान

क्रोएशिया से जुड़े स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी जी ने ‘रामचरितमानस’ का क्रोशियन भाषा में अनुवाद किया है। उन्होंने अपने विचार साझा किए और सनातन परंपरा के प्रति अपने समर्पण को प्रकट किया। उनका योगदान वेबिनार के लिए बहुत मूल्यवान रहा।

रामचरितमानस पर डॉ. चंपा श्रीवास्तव की चर्चा

उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर से विदुषी डॉ. चंपा श्रीवास्तव जी ने प्रभु राम और ‘रामचरितमानस’ पर अपने गहन शोध और अध्ययन को साझा किया। उनके विचारों ने सभी को प्रभु राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद की।

शाबिस्ता बृजेश की कविताएँ

लोकप्रिय कवयित्री शाबिस्ता बृजेश जी ने राम जी पर सुंदर पंक्तियां गाईं, जिससे सभी श्रोतागण भक्ति रस में डूब गए। उनकी कविताएँ प्रभु राम के प्रति उनकी असीम भक्ति को प्रदर्शित करती हैं।

राजा रंजीत बख्श सिंह का सानिध्य

अवध प्रान्त की रियासत गोपाल खेड़ा के राजा रंजीत बख्श सिंह जी ने पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहकर हर विद्वान वक्ता के विचारों को सुनने का सानिध्य प्रदान किया। उनका स्नेह और आशीर्वाद सभी के लिए प्रेरणादायक रहा।

निष्कर्ष

संक्षेप में, राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार ने प्रभु राम के जीवन और उनके आदर्शों को समझने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान किया। सभी वक्ताओं ने अपने-अपने दृष्टिकोण से प्रभु राम को देखा और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। यह वेबिनार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत मूल्यवान रहा। राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा और इस आयोजन के माध्यम से प्रभु राम का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, यही हमारी कामना है।

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