– डॉ. स्वर्णज्योति, बैंगलुरु प्राचीन भारत में स्त्री को अत्यंत महत्व दिया जाता था। वह शक्ति का प्रतीक मानी जाती थी। वैदिक काल में स्त्री भोग-विलास की सामग्री नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की डोर संभालने वाली सहयोगिनी के रूप में प्रतिष्ठित थी। हमारे साहित्य में भी नारी का विशेष स्थान रहा है। साहित्यकारों ने […]